जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है यह पुनर्नवा और मण्डूर का रासायनिक योग है इस योग से शरीर में खून की वृद्धि होती है यह पूरे शरीर की सूजन को नष्ट करता है तथा आंतों को बलवान बनाता है। यह एक पूर्णतया आयुर्वेदिक औषधि है। इन फायदों के अलावा भी पुनर्नवादि मंडूर के बहुत से फायदे हैं जिनकी विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे दी गई है।
तो आइए जानते हैं पुनर्नवादि मण्डूर के फायदे, नुकसान और सेवन विधि के बारे में।
पुनर्नवादि मण्डूर के फायदे, गुण और उपयोग | Punarnavadi Mandoor ke fayde in Hindi
मण्डूर और पुनर्नवा का यह रासायनिक योग शरीर में खून को बढ़ाता है तथा सूजन को नष्ट करता है और आंतों को बलवान बनाता है।
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यह हाथ-पाओं की सूजन हो या पूरे शरीर में सूजन हो उसको नष्ट करता है।
पुनर्नवादि मण्डूर के प्रयोग से दस्त और पेशाब की क्रिया ठीक होती है तथा रक्त की गति नियमित होकर शरीर में नया खून बनने लगता है।
सूजन दूर करने के साथ-साथ पेट के रोग, प्लीहा वृद्धि तथा कृमि जैसे रोगों में भी पुनर्नवादि मण्डूर का उपयोग बहुत फायदेमंद माना जाता है।
वातरक्त, आन्त्रिक क्षय और बवासीर में भी इसके सेवन से बहुत अधिक लाभ होता है।
कफ, खांसी तथा कफ युक्त खांसी में भी इसके उपयोग से आश्चर्यजनक रूप से फायदा होता है।
पुनर्नवादि मण्डूर शोथ रोग में विशेष रूप से फायदा पहुंचाता है।
शोथ युक्त पाण्डु रोग में बैद्यनाथ पुनर्नवादि मंडूर के फायदे |Baidyanath Punarnavadi Mandoor benefits in Hindi
पाण्डु रोग के पुराना हो जाने पर शरीर में जल भाग की वृद्धि से कफ दोष बढ़ जाता है, साथ ही वायु भी प्रकुपित हो जाती है जिससे शरीर में सूजन, मंदाग्नि, बद्धकोष्ठता अर्थात कब्ज, अन्न में अरुचि, मल-संचय से पेट आगे को निकला हुआ, हाथ, पांव और मुंह पर सूजन की विशेषता, पेट में दर्द, प्लीहा वृद्धि, ज्वर बने रहना, कमजोरी, रक्त की कमी से शरीर पाण्डू वर्ण का हो जाना आदि उपद्रव हो जाते हैं।
ऐसी परिस्थिति में पुनर्नवादि मण्डूर के सेवन से बहुत अधिक लाभ होता है। इससे सर्वप्रथम बद्धकोष्ठता अर्थात कब्जियत दूर हो दस्त पिघल कर आने लगते हैं और आँते भी सबल बन जाती हैं। रक्ताणुओं की वृद्धि हो, शरीर का जल भाग सूख कर नष्ट हो जाता है। क्रमशः ज्वर और प्लीहा आदि विकार भी धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। इस तरह कुछ ही दिनों में रोगी स्वस्थ हो जाता है। शोथ रोग की यह सुप्रसिद्ध महा औषधि है।
पुनर्नवादि मण्डूर का सेवन करते समय क्या सावधानी रखें
पुनर्नवादि मंडूर का सेवन करते समय दही और नमक का सेवन बंद कर दिया जाए तो शोथ रोग में यह बहुत शीघ्र ही बहुत उत्तम लाभ करती है।
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आइए अब इस चमत्कारी औषधि के मुख्य घटकों के बारे में जान लेते हैं।
बैद्यनाथ पुनर्नवादि मण्डूर के मुख्य घटक
पुनर्नवा, निशोथ, सोंठ, पीपल, मिर्च, वायविडंग, देवदारू, चित्रक, पोहकरमूल, हल्दी, दारूहल्दी, दन्तीमूल, हर्रे (हरड़), बहेड़ा, आंवला, चव्य, इन्द्रजौ, कुटकी, पीपलामूल, और नागरमोथा।
पुनर्नवादि मण्डूर बनाने की विधि
ऊपर बताए गए सभी घटक एक-एक तोला लेकर कूट छानकर रख लें तथा मण्डूर भस्म 40 तोला लेकर 8 गुने गोमूत्र में पकाकर पुनर्नवा आदि के चूर्ण का प्रक्षेप दें। जब गाढ़ा हो जाए तो उसे घी लगे हाथ से 3-3 रत्ती की गोलियां बना सुरक्षित रख लें।
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पुनर्नवादि मण्डूर की मात्रा, अनुपान और सेवन विधि
दो से तीन गोली सुबह शाम शोथ रोग में गोमूत्र के साथ, पाण्डु रोग में पुनर्नवा स्वरस के साथ तथा उदर रोग में त्रिफला क्वाथ के साथ देने से आश्चर्यजनक रूप से लाभ होता है।
पुनर्नवादि मण्डूर के नुक़सान | Punarnavadi Mandoor ke side effects
पुनर्नवादि मण्डूर एक पूर्णतया आयुर्वेदिक औषधि है और इसके किसी भी प्रकार के नुक़सान (साइड इफेक्ट/side effects) का विवरण आयुर्वेद सार संग्रह में नहीं मिलता। इसका सेवन करते समय दही और नमक का सेवन बंद करने से यह शोथ रोग में आश्चर्यजनक रूप से फायदा पहुंचाती है।
विशेष नोट –
पुनर्नवादि मण्डूर की कीमत
पुनर्नवादि मण्डूर बिना डॉक्टर की पर्ची के बाजार में मिलने वाली एक पूर्णतया आयुर्वेदिक औषधि है। आप इसे बड़ी आसानी से किसी भी आयुर्वेदिक दवा विक्रेता से खरीद सकते हैं। आप इसे ऑनलाइन अमेजॉन से भी खरीद सकते हैं। अमेजॉन पर बैद्यनाथ पुनर्नवादि मण्डूर की कीमत 175 ₹ ( कीमत 2 पैक, 80 टेबलेट) है।
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संदर्भ:- आयुर्वेद-सारसंग्रह श्री बैद्यनाथ भवन लि. पृ. सं. 574, 575