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त्रिवंग भस्म के फायदे नुकसान | गुण और उपयोग | trivang bhasma uses in hindi

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Jun 13, 2021
त्रिवंग भस्म | त्रिवंग भस्म के फायदे, गुण और उपयोग | त्रिवंग भस्म के लाभ और हानि | trivang bhasma uses in hindi | trivang bhasma benefits in hindi | baidyanath trivang bhasma in hindi | TRIVANG BHASMA | त्रिवंग भस्म price | त्रिवंग भस्म की कीमत | त्रिवंग भस्म के फायदे बताओ | त्रिवंग भस्म के घटक | त्रिवंग भस्म के फायदे और साइड इफ़ेक्ट



त्रिवंग भस्म प्रमेह विकार, मूत्रविकार तथा मधुमेह व उसके कारण होने वाले जोड़ों के दर्द, फोड़े फुंसी तथा यौन रोगों जैसे- स्वप्नदोष, वीर्य स्राव, नसों की कमजोरी जैसे दोषों को दूर करने के लिए उचित अनुपान में इसका सेवन किया जाए तो यह एक अत्यंत गुणकारी आयुर्वेदिक भस्म है।

तो आईये जानते हैं- त्रिवंग भस्म के फायदे, नुकसान, गुण और उपयोग के बारे में। | trivang bhasma uses in hindi

शुगर, मूत्र विकार, जोड़ों के दर्द, यौन रोग, फोड़े-फुन्सी व श्वेत प्रदर (सफेद पानी) की समस्या से परेशान रोगियों के लिए यह जानकारी अत्यंत लाभकारी है। आज हम आपको त्रिवंग भस्म और उससे होने वाले फायदों के बारे में जानकारी देने वाले हैं अतः इसे पूरा पढ़ें और त्रिवंग भस्म का सेवन करके उत्तम स्वास्थ्य का लाभ उठाएं।

त्रिवंग भस्म बनाने की विधि

शुद्ध नाग, शुद्ध बंग, और शुद्ध जस्ता प्रत्येक समान भाग लेकर एक साथ लोहे की कड़ाही में डाल, आग पर गर्म करके पतला कर लें, फिर उसमें भांग और अफीम के पोस्ते का मिश्रित चूर्ण थोड़ा-थोड़ा डालते जाएं और लोहे की कलछी से चलाते जाएं। जब चूर्ण समाप्त हो जाए और उक्त तीनों धातुओं का भी चूर्ण हो जाए, तब किसी तवे या ढक्कन से ढक कर नीचे खूब तेज आंच करीब 12 घंटे तक देते रहें। जब भस्म अग्निवर्ण (अग्नि के जैसी) लाल हो जाए, तब आंच बंद कर दें और स्वांग शीतल होने पर, कपड़े से छानकर, खरल में डाल, ग्वारपाठे के रस में मर्दन कर, टिकिया बना, सुखाकर, लघुपुट में फूंक दे। ऐसे 7 पुट देने से पीले रंग की भस्म तैयार हो जाती है।

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दूसरी विधि

धातु – शोधन – विधि से शोधित रांगा, यशद, नाग तीनों को बराबर मात्रा में लेकर एक लोहे की कड़ाही में डालें तथा भट्टी पर चढ़ाकर  पिघलावें। पिघलने पर नीम या आक की लकड़ी से चलाते जावें और थोड़ा-थोड़ा ढाक के फूलों का चूर्ण भी डालते जावें। जब सारा द्रव्य भस्म रूप हो जाए, तब दूसरे तसले से कड़ाही के अंदर के माल को ढक देवें और ऑंच बराबर 4 – 5 घंटे और लगने देवें। स्वांग शीतल होने पर  निकालकर, पानी के साथ कपड़े से छानकर सुखा लें। फिर ग्वारपाठा स्वरस की भावना देकर टिकिया बनाकर गज पुट में कुछ तेज आँच में रखें। स्वांग शीतल होने पर निकाल कर घुटाई कर, ग्वारपाठा स्वरस की भावना देकर, फिर गज पुट में कुछ कम आँच दें। इस प्रकार 8 पुट में खुले रंग की भस्म तैयार होगी।

– स्वानुभूत-विधि

नोट – पहली पुट कुछ तेज आँच तथा बाद में हल्की आंँच की देवें। नाग-वंग-यशद तथा त्रिवंग का मारण ढली हुई लोहे की कड़ाही में ही कराएं।

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त्रिवंग भस्म के फायदे, गुण और उपयोग| trivang bhasma uses in hindi

1 – अगर आपको मूत्रक्रच्छ की समस्या है, अर्थात पेशाब में रुकावट, बार-बार पेशाब जाना, पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब करते समय दर्द होना, पेशाब से बदबू आना, मूत्रवाहिनी नली में किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होना, मसाने (पेशाब की थैली) में गर्मी होना इन सभी अवस्थाओं में आप त्रिवंग भस्म का सेवन करके लाभ उठा सकते हैं।

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2 – अगर आपका बच्चा रात भर बार-बार बिस्तर गिला (पेशाब) करता है, अगर कभी दिन में सो जाए तो दिन में भी बिस्तर गिला करता है। तो वे सभी मां-बाप एक रत्ती (125mg) त्रिवंग भस्म, एक रत्ती शुद्ध शिलाजीत लेकर दोनों को एक चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने के घंटे बाद देना शुरु करें। कुछ ही दिनों में बिस्तर में पेशाब करने की, आपके बच्चे की समस्या बिल्कुल ठीक हो जाएगी।

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3 – जो व्यक्ति मधुमेह अर्थात शुगर से परेशान हैं, या जिनकी शुगर कंट्रोल में रहती है, लेकिन शुगर के कारण शरीर में अंदरूनी और बाहरी कमजोरी आ गई है। लिवर, किडनी की समस्या उत्पन्न हो गई है। इन सभी अवस्थाओं में भी त्रिवंग भस्म का उपयोग 1 रत्ती शुद्ध शिलाजीत और एक चम्मच शहद के साथ करना अत्यंत गुणकारी है। क्योंकि यह शरीर को बल प्रदान कर शुगर को ठीक करने का काम करती है।

4 – अगर आपको शुगर के कारण शरीर के सभी जोड़ों में दर्द, सिर में दर्द, पेट में दर्द रहना शुरू हो गया है, या मंदाग्नि होकर पेट फूल जाता हो और उसके कारण से आपको मधुमेह हो गया, और फिर रोग पुराना होने पर, अत्यधिक शुगर बढ़ने के कारण कहीं भी फोड़े फुंसी तथा घाव बनने शुरू हो गए हैं। ऐसे समय में भी त्रिवंग भस्म का उपयोग अवश्य करना चाहिए। यह इन सभी दोषों का नाश करती है।

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5 – कम उम्र में मासिक धर्म होना या कम उम्र में शादी होने के कारण पुरुष के साथ समागम ज्यादा होना जिसके कारण गर्भधारण शक्ति कमजोर हो जाती है। आसानी से गर्भ नहीं ठहरता और अगर ठहरता भी है, तो संतान अल्पायु या रोगी जन्म लेती है, तथा प्रसूता स्त्री को भी बहुत सी यातनाएं झेलनी पड़ती है, बुखार आदि बीमारियों से परेशान रहती हैं। ऐसी अवस्था में त्रिवंग भस्म गर्भ की कमजोरी को दूर कर स्त्रियों को शक्ति प्रदान कर समस्त दोषों का निवारण करती है। अतः ऐसी सभी अवस्थाओं में त्रिवंग भस्म का प्रयोग करना अत्यंत लाभकारी है।



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6 – आजकल के शिक्षित स्त्री समाज में सफेद पानी की समस्या बहुत देखने को मिलती है, इसका प्रमुख कारण जंकफूड का सेवन अधिक करना, आधुनिकतम एवं बनावटी फैशन करना, सिनेमा व थिएटर देखना, नग्न चित्र देखना व पढ़ना, जिसके कारण कामुकता अधिक बढ़ जाती है। फलस्वरूप सफेद पानी व चिपचिपा पदार्थ योनि मार्ग से निकलना प्रारंभ हो जाता है। कभी-कभी समस्या इतनी बढ़ जाती है कि इसके कारण महिलाएं परेशान हो जाती हैं। ऐसी अवस्था में भी त्रिवंग भस्म का उपयोग करना अत्यंत गुणकारी है।

7 – गर्भाशय की कमजोरी अथवा गर्भधारण करने की क्षमता अगर कमजोर हो गई है, या बार-बार गर्भस्राव होता है तो त्रिवंग भस्म एक रत्ती, मुक्ताशुक्ति पिष्टी एक रत्ती, चवनप्राश एक तोला में मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से अपूर्व लाभ होगा।

8 – मधुमेह से पीड़ित रोगी को एक रत्ती त्रिवंग भस्म की मात्रा में जामुन की गुठली या गुड़मार बूटी चूर्ण 2 माशा को मिलाकर मधु के साथ सेवन कराएं इससे अवश्य ही लाभ होगा।

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यौन रोगों में त्रिवंग भस्म के फायदे और सेवन विधि

1 – वे सभी पुरुष जिनकी नसें कमजोर हो गई है। इंद्री में तनाव कम बनता है, अर्थात ढीलापन रहता है। ऐसे सभी पुरुषों के लिए त्रिवंग भस्म एक रामबाण औषधि है। इसका सेवन अवश्य करें।

2 – वीर्य पतला होकर स्तंभन शक्ति खत्म हो गई है। किसी भी स्त्री का विचार करने मात्र से चिपचिपा पानी निकलने लगता है, और तनाव नहीं बनता ऐसे सभी पुरुष त्रिवंग भस्म का सेवन अवश्य करें यह समस्त दोषों का नाश कर बल बढ़ाने तथा वीर्य को गाढ़ा करने का काम करती है।

3 – नपुंसकता तथा अन्य उपरोक्त बताए गए यौन रोगों में एक रत्ती त्रिवंग भस्म मक्खन, मलाई या शहद के साथ देना लाभदायक है।

त्रिवंग भस्म के नुकसान : trivang bhasm side effect in hindi



1 – वैसे तो यह पूर्णत आयुर्वेदिक औषधि है फिर भी बिना चिकित्सक की सलाह से इसका प्रयोग करना हानिकारक हो सकता है।

2 – त्रिवंग भस्म को चिकित्सक की सलाह के अनुसार उचित खुराक और समय पर तथा सीमित अवधि के लिए ही सेवन करना चाहिए।

3 – गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं-बहनों को इसके सेवन से बचना चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन बिल्कुल ना करें।

मात्रा और अनुपान

त्रिवंग भस्म एक से दो रत्ती दिन में दो बार या आवश्यकतानुसार शहद, मक्खन, मलाई आदि के साथ सेवन करने से बहुत अच्छा लाभ होता है।

विशेष नोट – 

वैसे तो त्रिवंग भस्म पूर्णता आयुर्वेदिक और सुरक्षित औषधि है। लेकिन फिर भी इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें।

त्रिवंग भस्म की कीमत : trivang bhasm price in India

त्रिवंग भस्म को आप आसानी से बाजार से खरीद सकते हैं। बहुत सी आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनियां इसका निर्माण करती हैं। आप इसे अमेजॉन से भी ऑनलाइन खरीद सकते हैं। अमेजॉन पर इसकी 10 ग्राम पैक की कीमत ₹310 के आसपास है। कीमतों में अंतर जगह, स्थान और मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।

संदर्भ:- आयुर्वेद-सारसंग्रह. श्री बैद्यनाथ भवन लि. पृ. सं. 132

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