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महासुदर्शन काढा ( प्रवाही ) के फायदे नुकसान और सेवन विधि।‍ | mahasudarshan kadha benefits in Hindi

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May 17, 2021
महासुदर्शन काढा ( प्रवाही ) के लाभ और सेवन विधि | सभी प्रकार के ज्वर ( बुखार ) की रामबाण औषधि।‍ | mahasudarshan kadha uses in Hindi | सभी तरह के बुखार की रामबाण औषधि महासुदर्शन काढा | ज्वर उतारने की आयुर्वेदिक दवाई | विषम ज्वर की देसी दवाई | ज्वर के प्रकार | पुराने से पुराने बुखार का इलाज | महासुदर्शन काढा के फायदे और नुकसान | महासुदर्शन काढा कि कीमत बताओ | महासुदर्शन काढा के फायदे बताओ | महासुदर्शन काढा के लाभ और हानि | महासुदर्शन काढा के गुण और उपयोग


कोविड-19 महामारी के इस दौर में आज हर घर में कोई ना कोई ज्वर ( बुखार ) से पीड़ित है। आज इस पोस्ट में हम आपके लिए एक ऐसी औषधि के बारे में जानकारी लेकर आए हैं जिसका नाम है- महासुदर्शन काढा ( प्रवाही ) जो कि सभी नए व पुराने से पुराने बुखार जैसे- एकदोषज, द्विदोषज, धातुगत, त्रिदोषज, सन्निपात ज्वर, शीत ज्वर, विषम ज्वर आदि सभी प्रकार के ज्वर को जड़ से ठीक करने के लिए एक अत्यंत गुणकारी औषधि है। जिसका सेवन करके आप उत्तम स्वास्थ्य का लाभ ले पाएंगे।

महासुदर्शन काढ़े के मुख्य घटक

हरड़, बहेड़ा, आंवला, हल्दी, दारूहल्दी, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, कचूर, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, पीपला मूल, मुर्वा, गिलोय, धमासा, कुटकी, पित्तपाड़ा, नागर मोथा,त्रायमाण, ( वनप्सा ), नेत्रबाला ( खश ), अजवाइन, इंद्रजौ, भारंगी, सहीजन के बीज, शुद्ध फिटकरी, बच, दालचीनी, कमल के फूल, उशीर, ( खश ), चंदन सफेद, अतीस, बलामूल, शालपर्णी, वायविडंग, तगर, चित्रकमूल व छाल, देवदारू, चव्य, पटोलपत्र, कालमेघ, करंज की मींगी, लौंग, वंशलोचन, कमल फूल, काकोली, तेजपात, जावित्री, तालीसपत्र, यह प्रत्येक द्रव्य 8 तोला, 8 माशे, 4 रत्ती लें, और चिरायता 2 सेर, 10 छटांक, 3 तोला, 4 माशे लें।

महासुदर्शन काढ़ा बनाने की विधि

इन सबको मिलाकर दरदरा कूट कर 64 सेर पानी में पकाएं 16 सेर जल शेष रहने पर उतारकर छान लें। तत्पश्चात इसमें 61 सेर गुड़ एवं धाय के फूल 10 छटांक डालकर आसवारिष्ट सन्धान विधि के अनुसार 1 महीने तक संधान करें।  एक माह के बाद निकाल कर छान लें और सुरक्षित रखें।
( सी. यो. सं. के महासुदर्शन चूर्ण का योग आसवारिष्ट – विधि से निर्मित )
महासुदर्शन काढा ( प्रवाही ) के लाभ और सेवन विधि | सभी प्रकार के ज्वर ( बुखार ) की रामबाण औषधि।‍ | mahasudarshan kadha uses in Hindi | सभी तरह के बुखार की रामबाण औषधि महासुदर्शन काढा | ज्वर उतारने की आयुर्वेदिक दवाई | विषम ज्वर की देसी दवाई | ज्वर के प्रकार | पुराने से पुराने बुखार का इलाज | महासुदर्शन काढा के फायदे और नुकसान | महासुदर्शन काढा कि कीमत बताओ | महासुदर्शन काढा के फायदे बताओ | महासुदर्शन काढा के लाभ और हानि | महासुदर्शन काढा के गुण और उपयोग
mahasudarshan kadha benefits in Hindi



महासुदर्शन काढ़े के लाभ

1 – इस काढ़े का प्रयोग उचित मात्रा और अनुपान के साथ करने से नए व पुराने से पुराने ज्वर ( बुखार ) ठीक हो जाते हैं।
2 – किसी भी प्रकार का ज्वर ( बुखार ) हो जैसे – एकदोषज, द्विदोषज, धातुगत, त्रिदोषज, सन्निपात ज्वर, शीत ज्वर, विषम ज्वर आदि सभी प्रकार के ज्वर को जड़ से नष्ट करता है।
3 – मंदाग्नि, बदहजमी, कमजोरी, सिर दर्द, खांसी, खून की कमी, हृदय रोग, पीलिया, कमर दर्द जैसे विकारों को भी महासुदर्शन काढ़े का प्रयोग करके नष्ट किया जा सकता है।
4 – इस क्वाथ का ज्वर ( बुखार ) हो जाने के बाद उसे उतारने के लिए और ज्वर ( बुखार ) आने से पहले उसको रोकने के लिए भी इसका प्रयोग उत्तम माना गया है।
5 – अगर किसी एलोपैथी दवा के प्रयोग से ज्वर ( बुखार ) रुक गया है, उस अवस्था में भी इस काढ़े के प्रयोग से अच्छा लाभ होता है।


6 – रस – रक्तादि सप्त धातुओं के कमजोर हो जाने के कारण ज्वर ( बुखार ) रहता हो अथवा अन्य किसी दोष के कारण शरीर में हल्का हल्का ज्वर रहता हो, या कभी-कभी दोष का प्रकोप बढ़ कर ज्वर का वेग ( तेज बुखार होना ) भी बढ़ जाता है इन दोनों अवस्थाओं में महासुदर्शन क्वाथ को एक – एक तोले की मात्रा में दिन – रात में चार पांच बार पिलाने से कुछ ही समय में बहुत अच्छा लाभ होता है।
7 – महासुदर्शन काढ़ा रोग और उसके कारणों का शोधन कर ज्वर ( बुखार ) को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए एक अत्यंत गुणकारी औषधि है।
8 – वे सभी स्त्री जो गर्भवती हैं या बच्चे को जन्म देने के बाद प्रसूता है इन दोनों अवस्थाओं में अगर ज्वर ( बुखार ) होता है, तो इसका सेवन करके लाभ उठा सकते हैं।

महासुदर्शन काढ़े की सेवन विधि

1 – 20 से 30 ml तक सुबह-शाम भोजन के बाद समान भाग जल मिलाकर सेवन करें।
2 – यह पूर्णतया आयुर्वेदिक सुरक्षित और सेफ दवा है। जिसका प्रयोग स्त्री – पुरुष, बच्चे, बूढ़े और जवान सभी उचित मात्रा और अनुपान में कर सकते हैं।
संदर्भ:- आयुर्वेद-सारसंग्रह. श्री बैद्यनाथ भवन लि. पृ. सं. 823
 
 
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