परिचय –
बोलबद्ध रस एक पूर्णतया आयुर्वेदिक तथा अत्यंत गुणकारी औषधि है। इसका सेवन मुख्यतः खूनी बवासीर, भगंदर, माहवारी का कम ज्यादा आना, रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर, भूख की कमी, सांस, खांसी, गर्भाशय की कमजोरी आदि को दूर करने के लिए विशेष रूप से किया जाता है।
तो आईये जानते हैं – बोलबद्ध रस के फायदे, गुण और उपयोग | खूनी बवासीर की रामबाण औषधि के बारे में।
bolbaddha ras uses in hindi
बोलबद्ध रस के मुख्य घटक –
शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, सत्व गिलोय एक-एक तोला लेकर कज्जली बनाएं। फिर उसमें 3 तोला ( हीरादोखी- खून-खराबा ) का कपड़छन क्या हुआ महीन चूर्ण मिलाकर सबको एक दिन सेमल की छाल के रस या क्वाथ में घोंटकर 2-2 रत्ती की गोलियां बनाकर, सुखाकर रख लें।
– वृ. नि. र.
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बोलबद्ध रस के फायदे, गुण और उपयोग
यह रसायन अम्लपित्त, रक्त प्रदर, रक्तपित्त, खूनी बवासीर, रक्त प्रमेह, वातरक्त, विद्रधि, भगंदर तथा पित्त जनित विकारों में फायदेमंद है। नाक, मुँह-गुदा और योनि मार्ग आदि किसी भी भाग से गिरता हुआ रक्त इसके प्रयोग से बंद हो जाता है।
रक्त प्रदर में नियत समय से अधिक दिन तक रज: स्राव होने पर स्त्री दुर्बल और कमजोर हो जाती है। इसका असर गर्भाशय पर भी पड़ता है, जिससे गर्भाशय कमजोर हो, गर्भधारण करने में असमर्थ हो जाता है। मंदाग्नि हो जाती है, भूख नहीं लगती तथा हाथ, पांँव एवं आंखों में जलन होने लगती है। ऐसी स्थिति में बोलबद्ध रस के उपयोग से बहुत शीघ्र लाभ होता है, क्योंकि यह दवा रक्त को बंद करने वाली ठंडी है। गर्भाशय को बलवान कर गर्भ-धारण शक्ति प्रदान करती है।
कभी-कभी खाने पीने में गड़बड़ी हो जाने से पाचक पित्त कमजोर हो जाता है। फल स्वरुप अन्नादि का पाचन ठीक से नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में किसी-किसी स्त्री को वात-प्रकोप के कारण प्रदर में वृद्धि हो, पूरे शरीर में दर्द होना, अतिसार ( पतले दस्त आना ), पेट फूल जाना आदि लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे समय में बोलबद्ध रस के सेवन से फायदा होता है। साथ में भास्कर चूर्ण शंख भस्म के साथ मिलाकर, खाना खाने के बाद गर्म जल के साथ देते रहने से प्रकुपित वायु का शमन होकर पाचन क्रिया ठीक से होने लगती है।
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कफ प्रकोप के कारण कास और श्वास की गति में वृद्धि हो गई हो और साथ ही गर्भाशय की कमजोरी या शिथिलता की वजह से श्वेत प्रदर की शिकायत हो तो ऐसी हालत में बोलबद्ध रस को त्रिवंग भस्म के साथ मिलाकर उपयोग करने से संचित कफ दूर हो जाता है तथा श्वेत प्रदर की भी शिकायत नष्ट हो, गर्भाशय बलवान हो जाता है। इस रसायन का प्रभाव मूत्रेन्द्रिय, पचनेन्द्रिय और रस-रक्तादि धातुओं के विकारों पर विशेष होता है।
खूनी बवासीर में प्रवाल चन्द्रपुटी के साथ मिला कर आयापान का रस 2 तोला के साथ देने से अच्छा लाभ होता है।
रक्तपित्त में मोती सीप पिष्टी के साथ मिलाकर वासास्वरस और मधु के साथ देने से उत्तम लाभ होता है।
बोलबद्ध रस के फायदे नुकसान | मात्रा और सेवन विधि | खूनी बवासीर की रामबाण औषधि। | bolbaddha ras uses in hindi
1 – इस रसायन के उपयोग से नाक, मुंँह-गुदा और योनि मार्ग आदि किसी भी भाग से गिरता हुआ रक्त शीघ्र प्रभाव प्रभाव से बंद हो जाता है।
2 – यह रसायन रक्त को बंद करने वाली ठंडी औषधि है। तो वह सभी औरतें जिनको नियत समय से अत्यधिक दिन तक रज: स्राव होता है। जिसके कारण स्त्री दुर्बल और कमजोर हो जाती है। इसका असर फिर गर्भाशय पर भी देखने को मिलता है। जिससे गर्भाशय कमजोर होकर गर्भ धारण करने में असमर्थ हो जाता है, ऐसी स्थिति में बोलबद्ध रस का उपयोग बहुत शीघ्र लाभ करता है।
3 – जिनकी अग्नि मंद है और जिनको भूख नहीं लगती, तथा हाथों-पैरों के साथ-साथ आंखों में भी जलन होती है। उनके लिए भी बोलबद्ध रस बहुत ही फायदेमंद है।
4 – जिन औरतों को रक्त प्रदर की समस्या बनी रहती है। जिसके कारण पूरे शरीर में दर्द होना, कभी-कभी पतले दस्त आना, पेट फूलना आदि की समस्या भी शुरू हो जाती है। ऐसे में उन सभी औरतों को बोलबद्ध रस का सेवन अवश्य करना चाहिए।
5 – खाने की गड़बड़ी के कारण जिनका भी पाचक पित्त कमजोर हो गया है। जिसके कारण भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता, फल स्वरुप वायु प्रकुपित्त होकर पूरे शरीर में दर्द होना शुरू हो जाता है, कोई-कोई स्त्रियों में रक्त प्रदर की भी वृद्धि हो जाती है। उन सभी को बोलबद्ध रस को भास्कर चूर्ण और शंख भस्म के साथ मिलाकर खाना खाने के बाद गर्म जल के साथ लेना चाहिए। ऐसा करने से प्रकुपित्त वायु का नाश होकर पाचन क्रिया ठीक से होने लगती है।
6 – कफ प्रकोप के कारण खांसी और सांस की तकलीफ में बोलबद्ध रस को त्रिवंग भस्म के साथ मिलाकर उपयोग करने से यह संचित कफ को बाहर निकालकर खांसी और सांस की तकलीफ में भी जल्द आराम करता है।
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7 – सफेद पानी, गर्भाशय की कमजोरी या शिथिलता में भी बोलबद्ध रस के प्रयोग से अच्छा लाभ होता है।
8 – इस रसायन का प्रभाव मूत्रेन्द्रिय, पचनेन्द्रिय और रस-रक्तादि धातुओं के विकारों पर विशेषकर होता है।
9 – रक्तपित्त में मोती सीप पिष्टी के साथ मिलाकर वासास्वरस और मधु के साथ देने से उत्तम लाभ होता है।
10 – प्रमेह में भी इस रसायन के प्रयोग से बहुत अच्छा लाभ होता है। प्रमेह में इसे पीपल चूर्ण और शहद से दें।
11 – 2 से 4 रत्ती सुबह-शाम मिश्री मिलाकर शहद के साथ देने से अमल पित्त रोग दूर होता है।
खूनी बवासीर में बोलबद्ध रस का उपयोग –
1- खूनी बवासीर होने पर प्रवालचंद्रपुटी के साथ मिलाकर आयापान का रस 2 तोला के साथ लेने से अच्छा लाभ होता है।
2 – इसके अलावा बोलबद्ध रस की दो-दो गोली सुबह शाम अभयारिष्ट 30-30ml बराबर मात्रा में गर्म जल मिलाकर के लेने से भी खूनी बवासीर में उत्तम लाभ होता है।
विशेष नोट – इस रसायन का उपयोग चिकित्सीय देखरेख में ही करें।
बोलबद्ध रस की कीमत
बोलबद्ध रस पूर्णता आयुर्वेदिक औषधि है इसे आप बिना डॉक्टर की पर्ची के बाजार से ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से इसे बड़ी आसानी से खरीदा जा सकता है।
बैद्यनाथ बोलबद्ध रस की छोटी डिब्बी की कीमत ₹96 है।
खूनी बवासीर होने पर कहां दिखाएं
अगर आप भी खूनी बवासीर से परेशान हैं या अन्य किसी भी प्रकार की बवासीर जैसे- फिशर, भगंदर, मस्से वाली बवासीर आदि से परेशान हैं और बहुत जगह से इलाज करा कर परेशान हो चुके हैं और आप बिना ऑपरेशन के कोई इलाज देख रहे हैं तो हमारे क्लीनिक पर आएं।
अनंत क्लीनिक के आयुर्वेदाचार्य को सभी तरह की बवासीर का इलाज करने में महारत हासिल है।
हमारे यहां सभी तरह की बवासीर का इलाज आयुर्वेदिक दवाइयों के द्वारा किया जाता है।
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हमारा पता है- अनंत क्लीनिक मैन बरोना रोड़, निकट मटिण्डू चौक, खरखौदा, हरियाणा 131402
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संदर्भ:- आयुर्वेद-सारसंग्रह. श्री बैद्यनाथ भवन लि. पृ. सं. 415
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बहुत सुदर
बहुत सुदर
Nice information 👍👍