जैसा कि आप सब जानते हैं, तबलीगी जमात के कारण भारत पर सामुदायिक संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है, देशभर में कोरोना से संक्रमित 4281 मामले अब तक सामने आए हैं, जिनमें से 1445 तबलीगी जमात के लोगों के हैं, 35% के करीब अकेले जमात के लोग कोरोना से पॉजिटिव पाए गए हैं, और अभी भी लगातार यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
तबलीगी जमात के लोगों ने सारी हदें पार की –
तबलीगी जमात के लोगों ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दी, गाज़ियाबाद में इलाज के दौरान जमात के कुछ लोगों ने डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया, तो वही नर्स के साथ भी अश्लीलता के मामले सामने आए हैं।
दिल्ली के निजामुद्दीन के मकरज से जब इनको निकाला गया तब भी है यह बदतमीजी कर रहे थे, यहां वहां थूक रहे थे ऐसा लग रहा था, जैसे साजिश के तहत यह लोग कोरोना को पूरे देश में फैलाना चाहते हैं।
5 अप्रैल की सुबह से बीते 24 घंटे में कुल 324 कोरोना से संक्रमित लोगों की पुष्टि हुई, जिनमें से 216 तबलीगी जमात के लोग हैं, अकेले दिल्ली की बात करें तो कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 525 है जिनमें से 330 लोग तबलीगी जमात के हैं।
तस्वीर के जरिए समझे पिछले 24 घंटे में कितने जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
योगी सरकार का बड़ा एक्शन –
उत्तर प्रदेश में तबलीगी जमातयों द्वारा डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार और नर्स के साथ अश्लील हरकत करने की पुष्टि होने पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन सब पर रासुका ( NSA ) लगाने का ऐलान किया है।
रासुका ( NSA ) क्या है –
रासुका का मतलब है, NSA, अर्थात राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, देश में पहली बार 23 सितंबर 1980 को लागू किया गया, NSA यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून
आइए जानते हैं, रासुका देश के अन्य कानूनों से कैसे अलग है या ऐसे कौन-कौन से प्रावधान हैं, जो NSA को देश के बाकी कानूनों से अलग बनाते हैं –
१ – NSA के तहत अगर सरकार को यह लगता है कि कोई भी आदमी देश की सुरक्षा के लिए खतरा है, तो उसे 12 महीने तक यानी एक साल तक बिना किसी चार्ज के डिटेन किया जा सकता है।
२ – इस एक्ट के तहत उस व्यक्ति पर आरोप तय किए बगैर ही उसे 10 दिन तक कस्टडी में रखा जा सकता है।
३ – इस एक्ट के तहत जो आदमी गिरफ्तार होता है। वह हाईकोर्ट की एडवाइजरी बोर्ड के सामने अपील तो कर सकता है, लेकिन उसे कोई वकील नहीं मिलता, अपने बचाव के लिए कोई कानूनी सहायता नहीं मिलती।
४ – केंद्र सरकार के अलावा इस कानून का उपयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त और राज्य सरकारें अपने-अपने सीमित दायरे में कर सकती हैं।
५ – हमारे संविधान का आर्टिकल-22, अनुच्छेद 1 कहता है कि किसी भी व्यक्ति को जो अपराधिक मामले में फंसता है, उसे अपनी पसंद का वकील करने और अपना बचाव करने के लिए पूरी छूट दी जाती है। उसे खुद को डिफेंड करने से रोका नहीं जा सकता।
६ – CRPC का सेक्शन 50 भी कहता है, कि गिरफ्तार किए गए आदमी का यह जानने का पूरा हक है कि उसे किस गुनाह के लिए गिरफ्तार किया गया है, और साथ ही वह बेल का अधिकारी भी होता है।
७ – लेकिन NSA के तहत जो व्यक्ति गिरफ्तार होता है, या जिस पर NSA लगाया जाता है, उसको ऐसा कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता, वह अपना वकील नहीं कर सकता, अपने बचाव में कोई व्यक्ति खड़ा नहीं कर सकता।
८ – साथ ही सरकार उससे वो सारी जानकारी छुपा सकती है, जो कि सरकार को लगता है कि यह जानकारी जनहित के यानी कि पब्लिक इंटरेस्ट के खिलाफ है।
९ – इस एक्ट के तहत डिटेन किए गए व्यक्ति को कोई कानूनी सहायता नहीं मिलती है।
१० – यहाँ तक कि NCRB, National Crime Records Bureau जो पूरे देश का क्राइम डाटा मेंटेन करता है, उसके रिकॉर्ड में भी NSA से जुड़ा कोई डाटा नहीं होता, क्योंकि इस एक्ट ( NSA ) के तहत एफ आई आर ( FIR ) ही दर्ज नहीं होती है।
अब तो आपको पता चल ही गया होगा, कि यह कानून कितना सख्त है, अतः वह सभी लोग जो सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं, डॉक्टरों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे हैं, नर्सों के साथ अश्लीलता कर रहे हैं या फिर इस महामारी को फैलने से रोकने की बजाए इसको और ज्यादा फैलाने में मदद कर रहे हैं, वे सभी लोग सावधान हो जाएं।
दोस्तों इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं और जागरूक करें ताकि इस महामारी से बचा जा सके।
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nice informetion