परिचय
नागकेसर एक सीधा 18 से 30 मीटर ऊंचा मध्यम आकार का सदा हरा भरा रहने वाला औषधीय पौधा है। इसकी पत्तियां पतली और घनी होती हैं। जो इसे एक छायादार पेड़ भी बनाती हैं। इसकी पत्तियां लाल रंग की होती हैं और उनका अगला हिस्सा चमकीले हरे रंग का होता है इसके फूल सफेद और पीले रंग के होते हैं। इसके फूलों के अंदर पीले केसरी रंग के पुंकेसर गुच्छों के रूप में आते हैं, इन्हीं को नागकेसर कहते हैं। इसके फूल जो कि गर्मियों में खेलते हैं उनसे बड़ी अच्छी सुगंध आती रहती है।
इसकी लकड़ी इतनी मजबूत होती है, कि काटने वाले के भी पसीने छूट जाते हैं। इसीलिए इसे वज्रकाठ भी कहते हैं। इसके फलों में दो या तीन बीज निकलते हैं। हिमालय के पूर्वी क्षेत्र, पूर्वी बंगाल, आसाम, बर्मा, दक्षिण भारत, सिहल आदि में इसके पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं।
नागकेसर के फायदे और नुकसान |
नागकेसर को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आइए उनमें से कुछ के बारे में जानते हैं।
नागकेसर को हिंदी में – नागकेसर, नागेसर, पीला नागकेसर, नागचंपा ।
अंग्रेजी में – Cobras Saffron ( कोबरास् सेफरॉन )
संस्कृत में – नागपुष्प, अहिकेसर, अहिपुष्प, वारण, गजकेसर, नागकेसर, देव वल्लभ।
उर्दू में – नरमिश्का, नागकेसर।
उड़िया में – नागेस्वर, नागेष्वोरो।
कोकणी में – नागचम्पा।
कन्नड़ में – नागकेसरी व नागसम्पिगे।
गुजराती में – नागचंपा, ताम्रनागकेसर।
तमिल में – नौगू, नौगलिरल आदि और भी कई सारे नामों से जाना जाता है।
Naagkesar Benefits in Hindi | नागकेसर के फायदे नुकसान, गुण उपयोग, सेवन विधि और घरेलु उपयोग।
यह गर्मी को दस्त के द्वारा शरीर से बाहर निकाल देता है। तृषा ( प्यास ), स्वेद ( पसीना ), वमन ( उल्टी ), बदबू, कुष्ठ रोग, बुखार, खुजली, कफ पित्त और विष को दूर करता है। नागकेसर ठंडी प्रकृति वालों के लिए बहुत ही लाभकारी है। यह मोटापे को दूर करके खून साफ करता है, तथा दांतो को मजबूत बनाता है।
नागकेसर कसैला, तीखा, गरम, लघु, रुक्ष कफ – पित्त शामक, आम पाचक, व्रणरोपक तथा सन्धानकारक होता है। इसके पुंकेसर से बनने वाले essential.oil में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, इसके इन्हीं गुणों के कारण इसका सेवन कई बीमारियों में लाभदायक होता है।
इसमें मौजूद औषधीय गुण होने के कारण ही इसको कई तरह की बीमारियों में घरेलू उपाय के तौर पर उपयोग में लाया जाता है। यह बुखार, वात संबंधी रोगों, सिर दर्द, गले के रोगों, और हृदय से जुड़े रोगों में काफी फायदेमंद है। तो आइए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में।
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नागकेसर के फायदे और घरेलु उपयोग।
1 – नागकेसर हिचकी रोकने में भी सहायक है –
हिचकियां कभी भी अचानक शुरू हो जाती हैं, और फिर आसानी से रुकती नहीं है। हालांकि ऐसे और भी कई घरेलू उपाय हैं, जिनकी मदद से आप हिचकियों को रोक सकते हैं। नागकेसर भी उन्हीं में से एक है। इसके लिए 500 मि. ग्रा. नागकेसर के सूक्ष्म चूर्ण में 1-1 ग्राम शहद एवं मिश्री मिलाकर सेवन करके ऊपर से गन्ने या महुवे का रस सेवन करने से हिचकी आना बंद हो जाती हैं।
2 – बवासीर में लाभकारी है –
खूनी बवासीर में सुबह छाछ के साथ और रात में ठंडे दूध के साथ लेने से लाभ होता है 2 से 3 ग्राम तक की मात्रा ली जा सकती है।
3 – खांसी और सांस संबंधी रोगों में –
खांसी और सांस संबंधी रोगों में भी नागकेसर एक उत्तम औषधि है, नागकेसर ऐसे गुणों से भरपूर है। जिनसे खांसी और सांस से जुड़े रोगों में फायदा मिलता है। तथा यह फेफड़ों की सूजन को भी कम करता है। नागकेसर मूल और छाल का काढ़ा बनाकर 10-20ml मात्रा में जब तक समस्या में आराम ना आए तब तक नियमित रूप से इसके काढे का सेवन करते रहना चाहिए।
4 – सर्दी जुकाम में –
खांसी के अलावा नागकेसर सर्दी जुकाम में भी आप को राहत प्रदान करता है। सर्दी जुखाम होने पर नागकेसर के पत्तों के कल्क को सिर पर लगाएं इससे लगाने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।
5 – खूनी दस्त में भी लाभकारी है-
खराब खानपान व पेट में ज्यादा गर्मी या अन्य कारणों से दस्त के साथ-साथ कभी-कभी खून भी आने लगता है। इसे ही हम खूनी दस्त कहते हैं। अक्सर बच्चे इस समस्या का शिकार होते हैं, हालांकि बड़ों में भी यह समस्या होना आम बात है। इस समस्या में भी नागकेसर का सेवन बहुत कारगर माना गया है। इसके लिए 250-500 मि. ग्रा. चूर्ण को शहद युक्त मक्खन के साथ या चीनी युक्त मक्खन के साथ सेवन करने से मल में खून आने की समस्या में आराम मिलता है।
6 – पेट से जुड़े रोगों में फायदेमंद –
आजकल की खराब जीवनशैली और खानपान की वजह से अधिकांश लोगों का हाजमा बिगड़ा हुआ रहता है। पाचन तंत्र के ठीक तरह से काम ना करने की वजह से पेट से जुड़ी कई समस्याओं का रोजाना हमें अपने दैनिक जीवन में सामना करना पड़ता है। जैसे कि अपच, एसिडिटी या पेट में जलन जैसी समस्याएं होना आम बात है। इस प्रकार की सभी समस्याओं में नागकेसर का सेवन बहुत ही गुणकारी है। इसके लिए आधे से 1 ग्राम नागकेसर फल चूर्ण का सेवन करें।
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7 – दस्त से आराम दिलाता है –
अगर आप दस्त की समस्या से पीड़ित हैं तो नागकेसर का सेवन करें विशेषज्ञों के अनुसार दस्त में भी यह जल्दी आराम दिलाता है। इसके लिए 500 मि.ग्रा. पुष्कलिका चूर्ण का सेवन करें।
8 – लिकोरिया सफेद पानी में –
महिलाओं को लिकोरिया सफेद पानी की समस्या होने पर 500 मि.ग्रा. नागकेसर के चूर्ण को मट्ठे में मिलाकर लेने से लाभ होता है।
9 – माहवारी में होने वाली अधिक ब्लीडिंग से राहत दिलाता है –
बहुत सी महिलाओं को माहवारी के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में रक्त स्राव होने लगता है, हालांकि माहवारी में रक्त स्राव होना एक आम बात है। लेकिन यह बहुत अधिक मात्रा में हो रहा है, तो यह एक बीमारी है, एक समस्या है। जिसे मनोरेजिया के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं, तो नागकेसर के चूर्ण का प्रयोग करें इसके लिए 250-500 मि.ग्रा. तक नागकेसर के चूर्ण को मट्ठे में मिलाकर 3 दिन तक सेवन करें शाम को ठंडे दूध के साथ भी ले सकते हैं। इसके अलावा रोजाना खाने में मट्ठे को शामिल करें अर्थात रोजाना ताजा मट्ठा खाने के साथ लें, ऐसा करने से इस बीमारी से जल्दी छुटकारा मिल जाता है।
10 – जोड़ों के दर्द में –
बढ़ती उम्र और गलत खान-पान के कारण जोड़ों में दर्द होना एक आम बात है, लेकिन इस गलत खानपान की वजह से और आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में यह समस्या अब युवा और युवतियों में भी देखने को मिलती है। अर्थराइटिस के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में आप घरेलू उपायों की मदद से काफी हद तक जोड़ों के दर्द की समस्या को कम कर सकते हैं। इसके लिए नागकेसर के बीजों के तेल की जोड़ों पर या फिर दर्द वाली जगह पर मालिश करें इस तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द में तुरंत राहत मिलती है।
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11 – घाव को भरने में सहायक है –
अगर आपकी त्वचा पर कहीं घाव हो गया है, तो उसे जल्दी ठीक करने के लिए भी आप नागकेसर के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए घाव पर नागकेसर का तेल लगाएं ऐसा करने से घाव जल्दी भरने लगता है।
12 – सांप के काटने पर नागकेसर का उपयोग –
सांप के काट लेने पर लोग इतना घबरा जाते हैं, कि वह कुछ समझ ही नहीं पाते कि क्या करें, और क्या ना करें। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नागकेसर का इस्तेमाल आप सांप के जहर के प्रभाव को कम करने के लिए भी कर सकते हैं। इसके लिए आप सांप ने जिस जगह पर काटा है, उस जगह पर नागकेसर की पत्तियों को पीसकर उनका लेप लगाएं, इस लेप को लगाने से जलन और दर्द में राहत मिलती है।
नागकेसर की मात्रा अनुपान और सेवन विधि –
नागकेसर का औषधिय इस्तेमाल सामान्य तौर पर निम्न मात्रा में करना चाहिए –
चूर्ण 250 – 500 मि.ग्रा.
और अगर आप काढ़ा ले रहे हैं तो 10 – 20 मि.लि. के अनुपात में ही सेवन करें।
विशेष नोट –
यदि आप किसी बीमारी के इलाज के रूप में नागकेसर का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही सेवन करें।
दोस्तों इस पोस्ट में हमने नागकेसर के घरेलू उपचार के बारे में आपको बताया है। उम्मीद है, आपको जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको पसंद आई हो तो कृपया लाइक करें शेयर करें और कमेंट करके हमें अपने सुझाव बताएं।