• Thu. Nov 21st, 2024

Anant Clinic

स्वस्थ रहें, मस्त रहें ।

Sphatika Bhasma Benefits in Hindi | स्फटिका ( फिटकरी ) भस्म के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि

Byanantclinic0004

Feb 28, 2020

परिचय 

फिटकरी एक प्रकार के खनिज मिट्टी से, जिसको देसी भाषा में रोल और अंग्रेजी भाषा में ” एलम शोल ” कहते हैं, तैयार होने वाले वस्तु है। यह लाल और सफेद दो तरह की होती है। भारतवर्ष में फिटकरी बनाने वाले कई कारखाने हैं। सबसे बड़ा कारखाना सिंधु नदी के पश्चिमी किनारे पर ” काला बाग ” नामक स्थान में है, जहां आज भी बहुत बड़े परिमाण में फिटकरी तैयार की जाती है। राजपूताने के अंदर भी फिटकरी की मिट्टी बहुत पाई जाती है। इसके अतिरिक्त मुंबई, चेन्नई और पंजाब में भी फिटकरी तैयार की जाती है। फिटकरी का सत्त्व पातन करने से एल्युमिनियम धातु प्राप्त होता है। आजकल एलुमिनियम के बर्तन बहुत बनते है‌।

फिटकरी से तैयार होने वाली यह भस्म एक अत्यंत गुणकारी पूर्णतया आयुर्वेदिक औषधि है इसका सेवन कुकर खांसी, मलेरिया, नेत्र रोग तथा दांतों की कमजोरी आदि को दूर करने के लिए किया जाता है। आज हम इसी गुणकारी भस्म के बारे में जानेंगे।
तो आइए जानते हैं स्फटिका भस्म के फायदे नुकसान, गुण और उपयोग तथा सेवन विधि के बारे में।

Sphatika Bhasma Benefits in Hindi | स्फटिका ( फिटकरी ) भस्म के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि 

इसकी भस्म सुजाक, रक्त प्रदर, खांसी, पार्श्वशूल, पुरानी खांसी, राजयक्ष्मा, निमोनिया, रक्त वमन, विष-विकार, मूत्रकृच्छ, त्रिदोष, प्रमेह, कोढ़, व्रण आदि को दूर करती है।

स्फटिका भस्म रक्तशोधक है। इसके सेवन से रक्त वाहिनी संकुचित हो जाती है, अतः यह बहते हुए रक्त को रोकती है। इसके सेवन से बढ़े हुए श्वास-कास के वेग भी कम हो जाते हैं। छाती में कफ जम कर बैठ जाने से खांसी होने पर छाती में दर्द होने लगता है। इस खांसी के आघात से फेफड़े खराब हो जाते हैं तथा उनमें भी दर्द होने लगता है। इस कफ को निकालने के लिए फिटकरी भस्म अमृत के समान गुण करती है। कभी-कभी फेफड़ों में ज्यादा कफ संचय हो जाने से फेफड़े कठोर हो जाते तथा अपने कार्य करने में भी असमर्थ हो जाते हैं। ऐसी अवस्था में भी यह भस्म बहुत उपयोगी है।

हुंपिग कास ( कुक्कुर खांसी ) में –

यह बीमारी बच्चों को अधिकतर होती है, इसमें इतने जोर की खांसी उठती है कि बच्चे को वमन तक हो जाता है। ऐसी हालत में फिटकरी भस्म १ रत्ती, प्रवाल पिष्टी, १/२ रत्ती, काकड़ासिंगी चूर्ण २ रत्ती में मिलाकर मधु के साथ देने से फायदा होता है।

यह भस्म विष नाशक है। अतएव सभी प्रकार के विषों पर इसका अच्छा प्रभाव होता है। नाग (शीशा ) धातु की कच्ची भस्म के सेवन करने से पेट में दर्द होता हो तो स्फटिका भस्म १ रत्ती, अफीम १/८ रत्ती, कपूर १/४ रत्ती मिलाकर पानी के साथ सेवन करने तथा रात में एक मात्रा मृदु विरेचन चूर्ण दूध से लेने पर प्रातः दस्त भी साफ हो जाता है, और पेट का दर्द शांत होकर विष-दोष भी दूर हो जाता है।

सर्प के काटने पर –

इसी तरह तत्काल काटे हुए सर्प के रोगी को फिटकरी भस्म १ माशे को ५ तोला घी में मिलाकर पिलाने से कुछ देर के लिए विष का वेग आगे ना बढ़ कर रुक जाता है।

बिच्छू के काटने पर –

बिच्छू के विष में भी १ तोला स्फटिका भस्म को ५ तोला गर्म पानी में मिलाकर रुई के फोहे से कटे हुए स्थान पर इस पानी को बार-बार रखने से बिच्छू का विष दूर हो जाता है।

यह भी पढ़ें –  गर्भपाल रस | सेवन विधि | गर्भ से जुड़े विकारों की रामबाण औषधि।

प्लेग रोग में –

लाल फिटकरी भस्म के प्रयोग से बहुत फायदा होता है। प्लेग में जब बुखार बहुत तेज हो गर्मी के मारे रोगी व्याकुल हो जाए, साथ-साथ प्रलाप भी हो तब स्फटिका भस्म ३ रत्ती, मिश्री १ माशे में मिलाकर देने से बहुत फायदा होता है। परंतु दवा देने के बाद 1 घंटे तक पानी नहीं देना चाहिए। बाद में १ तोला धनिया आधा सेर पानी में डालकर आधा पाव पानी शेष रहने पर छानकर पीने को दें‌। साथ ही साथ गिल्टी पर असगंध को पानी में घिसकर दिन भर में दो-तीन बार लेप करें और दूध-भात पथ्य में दें। इस प्रयोग से अनेकों रोगियों को फायदा हुआ है।

मलेरिया ( पारीवाले ज्वर ) में –

जब बार-बार ज्वर आता हो, ज्वर का वेग किसी दवा से कम नहीं होता हो, तो लाल फिटकरी भस्म ४ रत्ती में शुद्ध संखिया सफेद १/१० रत्ती मिलाकर मधु के साथ बुखार आने से एक घंटा पहले देने से दो-तीन पारी के बाद शीत ज्वर अवश्य रुक जाता है।

नेत्र रोग में –

नेत्र रोग के लिए फिटकरी एक अक्सीर चीज है। इसके २ रत्ती चूर्ण को १ तोला गुलाब जल में मिलाकर इस लोशन को आंख में डालते रहने से आंखों की सुर्खी और आंख में कीचड़ का आना बंद हो जाता है। आंख के अंदर एक प्रकार का बाल उगता है, जिसको ” परबाल ” कहते हैं। इस रोग में कच्ची फिटकरी की डली ४ तोला को मिट्टी के बर्तन में रखकर आंच पर चढ़ावे। जब फिटकरी पिघल जाए, तब उसमें सोना गेरू का चूर्ण १ तोला डालकर लकड़ी से चला कर एक जीव कर लें, फिर इसको नीचे उतारकर खरल में घोटकर महीन चूर्ण बना कपड़ छानकर रख लें।

इसे अंजन की तरह आंख में लगाने से परबाल रोग बहुत शीघ्र दूर हो जाता है। आंखें स्वच्छ हो जाती तथा आंखों में पुनः किसी तरह की बीमारी होने की संभावना नहीं रहती है। नेत्र रोग के लिए यह अंजन बहुत ही लाभदायक है।

यह भी पढ़ें – बालों कि हर समस्या का समाधान – महाभृंगराज तेल 

घाव होने पर –

व्रणरोपण के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। छुरी, तलवार या कुल्हाड़ी आदि के आघात से अगर कोई घाव हो गया हो और उसमें से खून निकलता हो तो कच्ची फिटकरी को बारीक पीसकर घी के साथ मिलाकर उसको घाव पर रखकर ऊपर से रुई का फाहा रख, पट्टी बांध देने से खून का बहना तुरंत बंद हो जाता है, और घाव बिना पके भर जाता है। फिटकरी के साथ संमभाग मुर्दासंग मिला कपड़छन करके घावों पर छिड़कने से घाव भर जाते हैं। यह कीटनाणु नाशक होने से संक्रामकता को भी नष्ट करती है।

रक्त स्राव या नकसीर होने पर –

इसी तरह स्त्रियों के ज्यादा रक्त स्राव होने पर या नाक से अधिक खून के बहने पर स्फटिका भस्म को मिश्री के साथ खिलाने और नकसीर में इसकी भस्म को सुंघाने से बहुत जल्दी फायदा होता है, क्योंकि फिटकरी में ग्राही गुण है तथा यह चमड़े एवं शिराओं को संकुचित करती है।

यह भी पढ़ें – अशोकारिस्ट के फायदे और सेवन विधि

दांतो को मजबूत करने के लिए –

रसकपूर या पारा के विशेष सेवन करने से अथवा और किन्हीं कारणों से मुंह में छाले पड़ गए हो और मसूड़ों में जख्म हो गए हों, तो फिटकरी के पानी से कुल्ले करने से लाभ होता है। मौलश्री छाल के चूर्ण में थोड़ी सी फिटकरी मिलाकर मंजन करने पर हिलते हुए दांत भी मजबूत हो जाते हैं।

गर्भाशय से खून आने पर –

गर्भाशय से अगर खून बहता हो तो गंदनाबूटी के स्वरस में फिटकरी को घोलकर उसमें कपड़ा तर करके गर्भाशय में रखने से खून आना बंद हो जाता है। गर्भाशय बाहर निकल आने एवं गुदभ्रंश पर भी इसका प्रयोग ( पिचकारी देने से ) लाभदायक है।

छाती से रक्त आने पर –

जब किसी कारण से छाती में विशेष चोट लगने से खून आने लगे तो ४ रत्ती स्फटिका भस्म, २ माशे मिश्री में मिलाकर दो पुड़िया बना प्रातः सायं देने से खून आना बंद हो जाता है। बाद में कमजोरी दूर करने एवं भीतर के घाव को भरने के लिए प्रवाल पिष्टी मिलाकर अनार के शरबत के साथ देने से बहुत शीघ्र लाभ होता है। शरीर में चोट लग जाने पर उस स्थान पर रक्त जम जाता है, उसे ठीक करने के लिए १ माशा फिटकरी को फांककर ऊपर से दूध पीना चाहिए, तीन चार बार लेने से ही आराम आ जाता है।

स्फटिका भस्म के फ़ायदों के बारे में तो हमने जान लिया आइये अब इसकी भस्म बनाने की विधि तथा इसकी मात्रा अनुपान और सेवन विधि के बारे में जानते हैं।
Sphatika Bhasma Benefits in Hindi | स्फटिका ( फिटकरी ) भस्म के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि  | साँप के काटे का इलाज | स्फटिका भस्म के फायदे | स्फटिका भस्म के नुकसान | स्फटिका भस्म के लाभ और हानि | स्फटिका भस्म की सेवन विधि | Sphatika Bhasma Uses in Hindi | Sphatika Bhasma Side effects  in Hindi | Sphatika Bhasma के फायदे बताओ हिन्दी में
Sphatika Bhasma Benefits in Hindi

भस्म बनाने की विधि –

फिटकरी के टुकड़े को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े बना मिट्टी की हांडी ( जिसका पेट बड़ा हो ) में रख कर ऊपर से किसी ढक्कन से ढक दें। फिर इसे गजपुट में फूंक दें। स्वांग-शीतल होने पर भस्म को निकाल लें। यह भस्म स्वच्छ, मुलायम और श्वेत वर्ण की होती है। बहुत से वैध फिटकरी को तवा पर रखकर, फुलाकर इसकी खील बना महीन पीसकर के भी काम में लाते हैं। हम भी इसी तरह तैयार करते हैं।

यह भी पढ़ें – क्या भाप लेने से कोरोनावायरस ख़त्म होगा

लाल फिटकरी भस्म –

लाल फिटकरी 5 तोला लेकर घृतकुमारी के रस में खरल करें। जब रस सूख जाए तो फिर उसे एक दिन भांगरे के रस में खरल करके उसकी टिकिया बना, धूप में सुखा, शराब-सम्पुट में बंद कर ५ सेर कण्डों की आंच में फूंक दें। स्वांग-शीतल होने पर भस्म को निकाल लें।

स्फटिका भस्म के नुकसान –

 
यह पूर्णतया आयुर्वेदिक औषधि है। आयुर्वेद सार संग्रह नामक पुस्तक में भी इससे होने वाले किसी प्रकार के नुकसान का वर्णन नहीं मिलता। फिर भी इसका सेवन करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क अवश्य करें और उसके बाद ही इसका सेवन करें।
 

मात्रा अनुपान और सेवन विधि –

2 से 4 रत्ती मधु, घी, शरबत वनप्सा या रोगानुसार अनुपान से दें।

विशेष नोट –

घरेलू दवाओं में फिटकरी अपूर्व चमत्कारी दवा है, और यह सुगमता से मिल भी सकती है। अतः इसके गुणधर्म के वर्णन में कच्ची फिटकरी के भी उपयोगों का वर्णन वाचकों लाभार्थ किया गया है।

अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।

यह जानकारी आयुर्वेद सार संग्रह नामक पुस्तक से ली गई है।

दोस्तों आपको हमारा यह ब्लॉग कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताएं और पसंद आया हो तो शेयर जरूर करें ताकि और लोग भी इससे लाभ उठा सकें।

(Visited 1,002 times, 1 visits today)
One thought on “Sphatika Bhasma Benefits in Hindi | स्फटिका ( फिटकरी ) भस्म के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *