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कफ कुठार रस के फायदे नुकसान | सेवन विधि | गुण और उपयोग | kafkuthar ras benefits in Hindi

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Nov 25, 2021
कफ कुठार रस के फायदे, नुकसान, सेवन विधि, गुण और उपयोग | kafkuthar ras benefits in Hindi | Baidyanath kafkuthar ras benefits in Hindi | Baidyanath kafkuthar ras uses in Hindi | health benefits of kafkuthar ras | कफ कुठार रस के लाभ और हानि | बेद्यनाथ कफ कुठार रस के फायदे हिंदी में | कफ कुठार रस के फायदे बताओ | पतंजलि कफ कुठार रस के फायदे गुण और उपयोग | वैद्यनाथ कफ कुठार रस की कीमत | पतंजलि कफ कुठार रस की कीमत | kafkuthar ras price in india | कफ की रामबाण औषधि



कफ कुठार रस पूर्णतया आयुर्वेदिक औषधि है जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है, यह कफ तथा कफ जन्य रोगों को नष्ट करने की एक उत्तम औषधि है। छाती में कफ संचय होकर खांसी उत्पन्न हो गई हो या खांसी के साथ कफ निकलता हो, कफ विशेष प्रकुपित होकर खांसी उत्पन्न कर देता है। साथ में ज्वर और खांसी के साथ भी कफ निकलता है। इसके अलावा आवाज में भारीपन, पसीना तथा नींद ज्यादा आना, भूख की कमी, शरीर में आलस्य बने रहना, खांसी का वेग बढ़ने के साथ-साथ छाती में दर्द होना इन अवस्थाओं में भी कफ कुठार रस का सेवन करना अत्यंत गुणकारी है।

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कफ कुठार रस बिना डॉक्टर की पर्ची के बाजार में मिलने वाली एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह छाती में जमा कफ को बाहर निकालने में प्रयोग की जाने वाली औषधियों में सर्वोत्तम मानी जाती है। इसके अलावा भी इसके सेवन से अनेकों बीमारियों का इलाज होता है।आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली बहुत सी कंपनियां इसका निर्माण करती हैं। जैसे- वैद्यनाथ, धूतपापेश्वर, पतंजलि आदि।

तो आइए जानते हैं कफ कुठार रस के फायदे, गुण और उपयोग तथा सेवन विधि के बारे में | kafkuthar ras benefits in Hindi



कफ कुठार रस के मुख्य घटक | kafkuthar ras ke mukhya ghatak

शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, सोंठ, पीपल, काली मिर्च, लौह भस्म, ताम्र भस्म सब बराबर लेकर, प्रथम पारा गंधक की कज्जली बनावें, फिर लौह भस्म और ताम्र भस्म को मिलाएं तथा काष्ठौषधियों को कूटकर कपड़छान चूर्ण बनाकर कज्जली के साथ मिलाकर छोटी-छोटी कटेली के फलों के रस, कुटकी और धतूरे के पत्तों के स्वरस की भावना देकर घोंटकर 1-1 रत्ती की गोलियांँ बनाकर रख लें।

र. रा. सु.

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baidyanath kafkuthar ras uses in hindi

कफ कुठार रस के फायदे, गुण और उपयोग | kafkuthar ras benefits Hindi



छाती में कफ जमा होकर खांसी उत्पन्न हो गई हो या खांसी के साथ कफ कम निकलता हो, छाती पर बोझ सा मालूम होता हो तथा खांसने पर छाती में दर्द हो, सांस लेने में कष्ट हो, ऐसी दशा में कफ को पिघलाकर बाहर निकालने के लिए कफ कुठार रस का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसमें लौह भस्म और अभ्रक भस्म होने से कफ पिघल कर बाहर निकल जाता है। और श्वास नली में जमा कफ के साफ हो जाने के कारण सांस लेने में होने वाली परेशानी भी दूर हो जाती है।

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कफ जब विशेष प्रकुपित होकर खांसी उत्पन्न कर देता है, साथ में ज्वर और खांसी के साथ कफ भी निकलता है और नवीन कफ भी बनता रहता है, जिससे ज्वर और खांसी नहीं रुकती। ऐसी बढ़ी हुई खांसी को दबाने के लिए कुछ वैद्य अफीम का प्रयोग कर बैठते हैं, किंतु इससे सिवाय नुकसान के लाभ कुछ भी नहीं होता, क्योंकि अफीम स्तंभक है। अतः कुछ देर के लिए खांसी को बंद तो कर देती है, किंतु यह संचित और दूषित कफ पुनः प्रकुपित हो खांसी और ज्वर को उत्पन्न कर देता है। ऐसी अवस्था में कफ कुठार रस के प्रयोग से आश्चर्यजनक रूप से फायदा होता है, क्योंकि इसमें धतूरे के रस के अतिरिक्त कुटकी और कटेली के फलों के रस की भावना देने से यह बढ़े हुए कफ का स्राव करता है और सांस लेने में होने वाले कष्ट का भी शमन करता है।



कफ ज्वर में कफ कुठार रस के फायदे

कफ प्रकोप के कारण मंद मंद ज्वर होना, नाड़ी की गति भी मन्द होना, पूरे शरीर में गीलापन सा महसूस होना, भूख की कमी हो जाना, नींद और पसीना ज्यादा आना, मुंह तथा आवाज में भारीपन महसूस होना इन सभी अवस्थाओं में भी कफ कुठार रस के सेवन से अच्छा लाभ होता है।

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पेशाब स्वच्छ तथा साफ ना आना, आलस्य बना रहना, खांसी का वेग बढ़ने के साथ-साथ छाती में दर्द बढ़ते जाना, कफ निकलने पर वेदना कम होना ऐसी स्थिति में कफ कुठार रस का प्रयोग करना अत्यंत गुणकारी माना जाता है।

-औ. गु. ध. शा.

कफ कुठार रस की मात्रा, अनुपान और सेवन विधि

एक से दो गोली पान के रस और मधु (शहद) के साथ अथवा रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेने से बहुत अच्छा लाभ होता है।

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कफ कुठार रस के नुकसान

कफ कुठार रस पूर्णतया आयुर्वेदिक ओषधि है और इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है फिर भी प्रयोग करने से पहले अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें।

विशेष नोट – बच्चों को आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही इसका सेवन कराएं।



संदर्भ:- आयुर्वेद-सारसंग्रह श्री बैद्यनाथ भवन लि. पृ. सं. 316

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